आगे बढ़ो, सफल बनो।
प्रतिशत के आंकड़ों से न आंकना स्वयं को,
परिश्रम में कमी कहां रही, ये जांचना है हम को।
परीक्षार्थी ही नही हो तुम, जीवन रथ के सारथी हो
जीवन के हर पग में गिरना, संभलना, फिर
संभलकर चलना नियति है धरा की यही तो ।
मीलों लंबी राह है, अनगिनत चाह है
समझो स्वयं को, ना समझाओ जगत को
डगमगाते हैं कदम जरूर, पर
छूना है अवश्य मंजिल को ।
असफलता के तारों में जकड़े रहना नहीं
जो अग्रसर हुआ, सफल हुआ है वही।
बढ़ो आगे, न रहना पीछे, मुड़कर सिर्फ देखना
ठोकरों को ,
जो संभलना सिखाएं भविष्य में तुमको।
प्रतिशत के आंकड़ों से न आंकना स्वयं को।
RAJ
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