बिटिया तुम प्यारी सी......

बिटिया तुम प्यारी सी,
हो सुगंध हमारी क्यारी की,
तुम्हे खिलाना है आंगन दोहरा
क्यों नही समझ पाती हो ये भेद ज़रा।
बिटिया तुम प्यारी सी
हो सुगंध हमारी क्यारी की।

महकना है तुमको कलियों सी  
क्यूं बहक जाती हो अबोधो सी
परिवार की आशा हो तुम
माता पिता की अभिलाषा हो तुम
पूरे  कुल की मर्यादा सी 
बिटिया तुम प्यारी सी
हो सुगंध हमारी क्यारी की।

पिता की फटकार को ना समझो 
तुम आकार बेड़ियों का,
मां की हिदायतों में भी छिपा है 
बंधन तार सुरक्षा का ।
सबके लिए खुशियों की प्याली सी 
बिटिया तुम प्यारी सी 
हो सुगंध हमारी क्यारी की।

क्यूंकर काटेंगे वो "पर" तुम्हारे 
तुम्हे तो आकाश को छूना है
पिता और भाई ने ही तो 
तुम्हारे उड़ने का आकाश चुना है।
उनके संरक्षण को ना समझो 
पिंजरे सा घोंसला तुम
उन्ही से तो पाओगी उन्मुक्त महल 
बनाने का हौसला तुम
क्यूं बिखरती हो उन पर अनजानी सी
बिटिया तुम प्यारी सी
सुगंध हमारी क्यारी की।

जिस मां ने गर्भ में सहा है 
तुम्हारे पदचापो की आहट
भला वो कैसे बन सकती है 
तुम्हारी सफलता की डगमगाहट
जिसके कलेजे का टुकड़ा तुम
तुम्हारे टुकड़ों से है वो आज विस्मित सी
बिटिया तुम प्यारी सी
हो सुगंध हमारी क्यारी की।

खुला अम्बर तुम्हारा है
बेशक घूमो चिड़ियों सी
पहचानो  लेकिन बाजों को 
चाल न चलने दो चालबाजों को
तुम रणचंडी, तुम वीरांगना,
तुम लक्ष्मी बाई तुम सावित्री ,तुम प्रथम शिक्षिका
स्व विवेक से तुम  बनो सफल 
जग में दृष्टि रखो पैनी सी
तुम बिटिया प्यारी सी
हो सुगंध हमारी क्यारी की।

पूरी श्रद्धा से सौगंध लो आज
के फिर से कोई "श्रद्धा" न होगी
हर हिंदू बेटी हिंदुत्व के साथ
हिंद का सम्मान बनेगी।
तुम आधार सृजनशीलता की
तुम बिटिया प्यारी सी
हो सुगंध हमारी क्यारी की।




🌹रुचि🌹



Comments

Popular posts from this blog

Who is the Magician!

YOGA

खुद को ढूंढता .......