आइए......कुछ उलझ जाएं

आइए एकदूजे में उलझ जाएं 
इस जिंदगी को जरा सा सुलझाएं
जिक्र हो जिस महफिल में तेरा
वहां बेबात ही मुस्कुरा जाएं।
ना नजर आएं एक दूजे को कभी
लेकिन एक दूजे की नजरों में बस जाएं।
क्या भरोसा इस वक्त का 
कब कैसा वो समा दिखाए
हम तो हर नजारे में सिर्फ आपको,
सिर्फ आपको ही पा जाएं।
आइए एकदूजे में उलझ जाएं।

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