कहाँ आसान होता है.....
चाक जिगर के सी लेना आसान कहाँ होता है
इस दुनिया में जी लेना आसान कहाँ होता है
तीखे औजारों से छलकते इस जहाँ मे
सीने का सामान कहाँ होता है।
संभलकर चलिए हर कदम जनाब
कदम कदम पर मुश्किलों का पैगाम होता है
बेहद नर्म सी दिखने वाली जुबाँ पर भी
बहुतों की तबाही का इल्ज़ाम होता है।
हर सुबह सूरज की नई रोशनी, नए इरादे,
नई उम्मीदों का आयाम होता है
शाम ढलते ढलते उम्मीदें फिर से कत्ल-ए-आम,
और कसूर ,फिर से "जरूरतों" के नाम होता है
चाक जिगर के सी लेना
कहाँ आसान होता है।
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