जीवन .....एक अभिनय है।

ये जीवन एक अभिनय है
कभी क्रोध तो कभी अनुनय-विनय है

हर क्षण खुलता रहस्य का पिटारा,
जिसमें उलझता मानव मन बेचारा,
हमेशा रहता एक संशय है
ये जीवन एक अभिनय है।

कभी मुस्कान तो कभी अंतरंग परेशान
कभी उत्साहित हृदय तो कभी निराश-सा मन,
कभी मुस्कुराते अधरों के पीछे 
नीर भरे नयन हैं
ये जीवन एक अभिनय है।

सभी यहाँ  अभिनेता हैं, 
कोई स्वयं बना तो कोई अनमना है 
होना वही जो पूर्व निर्धारित है
फिर क्यों निर्देशक पर दोषारोपण है।
ये जीवन एक अभिनय है।

सभी को करना अपना हिस्से का मंचन है
क्योंकर इतना चिंतन है,
आज दुर्लभ राह तो कल सुगम पंथ है।
आज कठिन तो कल स्वयं सिद्ध समय है।
आज क्रोध तो कल अनुनय -विनय है 
ये जीवन एक अभिनय है।



रुचि झा 🌹

Comments

Popular posts from this blog

Who is the Magician!

YOGA

खुद को ढूंढता .......