राह-प्रेरणा

राह में मिले प्रेरणा, या प्रेरणा से मिले राह,
शर्त एक ही जीवन की, चलने की हो चाह
चाहना होगा अधूरा, जो चलने से ही पूरा होगा,
थम गए कदम कहीं, तो जीवन-पथ अधूरा होगा।

मंज़िल सदैव क्षितिज की भाँति,
नज़र में रहकर, हाथ नही आती।
हाथ आती उन्हें है जिन्हें,सपनोँ में,
मंज़िल नहीं, मंज़िलों में नींद है आती।

राह-प्रेरणा की सजाना है जरूरी
एक दूजे के पूरक हैं, ये समझना है जरूरी
राह में मिले प्रेरणा, या प्रेरणा से मिले राह,
शर्त एक ही जीवन की,  चलने की हो चाह।



रुचि 




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