वो गोधूलि कब आएगी.....

न जाने वो गोधूलि कब आएगी?
यू तो रवि के ढलते ही गोधूलि आ जाया करती थी
इस बार कुछ देर हो गई.
न जाने वो गोधूलि कब आएगी?

संस्कार-रूपी माँ को छोड़कर गए 
हमारे अबोध, आधुनिकता में कहीं खो गए?
हम बाट देख रहे उनकी, 
वो गोधूलि को ही भूल गए।

चौखट राह निहार रही,
और वो अनजान, भौतिकता की चाह में
घर की राह से ही खो गए
वो गोधूलि को ही भूल गए

पराई सभ्यता  में खोने लगे 
और स्वयं का अस्तित्व भूल गए,
नन्हे-मुन्हे, अब बड़े हो गए
वो गोधूलि को ही भूल गए।

माँ का आँचल जिनका ठिकाना था
पिता का हाथ थाम जिन्हें चलना था
आज हाथ छुड़ाकर उड़ चले,
ऊंचाइयों में कहीं खो गए,
वो गोधूलि को ही भूल गए।

निहारती पलकें ममत्व की,
उत्सुक निगाहें वात्सल्य की,
पूछ रही हैं परस्पर 
वो गोधूलि कब आएगी?




R.A.J.




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